एक चाहत होती है,
अपनों के साथ जीने की,
वरना पता तो हमें भी है,
कि मरना अकेले ही है,
मित्रता एवं रिश्तेदारी
‘सम्मान’ की नही
”भाव” की भूखी होती है,
बशर्ते लगाव दिल से होना चाहिए,
दिमाग से नही।
वो कहते हैं ना
हर रिश्ते में अमृत बरसेगा शर्त इतनी है कि
शरारते करों पर साजिशे नहीं।
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